मच्छरों द्वारा फैलता है, यह सूजन, दर्द और गंभीर विकलांगता (हाथी पांव) का कारण बन सकता है।
– अंगों, स्तनों, या जननांगों में सूजन। – बार-बार बुखार, दर्द और कोमलता। – त्वचा का मोटा होना, थकान और लिम्फ तरल पदार्थ का रिसाव।
– फाइलेरिया परजीवी कीड़ों, मुख्य रूप से वुचेरिया बैंक्रॉफ्टी के कारण होता है। – ये कीड़े मच्छरों के काटने से फैलते हैं।
– रक्त परीक्षण और एंटीबॉडी परीक्षण माइक्रोफाइलेरिया का पता लगाते हैं। – अल्ट्रासाउंड और लिम्फ नोड बायोप्सी वयस्क कीड़ों की उपस्थिति की पुष्टि कर सकते हैं।
– लहसुन और हल्दी में शक्तिशाली सूजनरोधी गुण होते हैं। – अदरक की चाय प्रतिरक्षा को बढ़ावा देती है। – सरसों के तेल से मालिश रक्त संचार में सुधार करती है।
– नीम शरीर को डिटॉक्स करता है और परजीवियों को खत्म करता है। – हरितकी और अश्वगंधा शरीर को शुद्ध करते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं।
– फाइलेरिया का समय पर निदान, आयुर्वेदिक उपचार, और वेस्टीज उत्पादों से प्रबंधन संभव है। – उच्च गुणवत्ता वाले आयुर्वेदिक उत्पादों के लिए बुंदेलखंड के प्रसिद्ध स्टोर से खरीदारी करें और बेहतर स्वास्थ्य की ओर कदम बढ़ाएं।